हमारा खानदान बड़ा होने की वजह से मेरी करीब 14 भाभियाँ थी और तीन सेक्सी चाचियाँ भी थी। वैसे सभी एक नंबर की माल थी और मैं सभी को चोदने के तरीके ढूंढ रहा था लेकिन कोई हाथ नहीं आ रही थी। मैंने मेरी चाची को जैसे चोदा था (रात को साथ में सोने के बाद गर्म करके चोदने का तरीका) वही तरीका मुझे बेहद पसंद है लेकिन वो मौका मुझे इनके साथ मिल नहीं रहा था, अब नया तरीका सोच रहा था !
साल 2004 में मैं अमरावती में जॉब करता था लेकिन कोई भी ऐसा त्यौहार नहीं रहा कि मैं गाँव में नहीं जाता था।
ऐसे ही मैं होली के त्यौहार के लिए गाँव गया हुआ था। रंगपंचमी की दिन सुबह उठा और मुँह-हाथ धोकर दोस्तों के साथ खेत में दारू पीने और रंग खेलने चले गया। दारू पीने के बाद धीरे धीरे नशा बढ़ने लगा और बातों बातों में दोस्तों ने चुदाई के किस्से सुनाने चालू किये जिससे मेरा लंड खड़ा होने लगा और मेरे दिमाग में चाची को चोदने की इच्छा हुई और वहाँ से उठ कर मैं वापस घर आ गया।
मैं चाची के यहाँ गया और चाची को चूमने लगा तो उसने बोला- अभी नहीं, घर पर सब लोग हैं, रात को जितनी मर्जी, उतना चोद लेना !
और मुझे उसने बाहर जाने के लिए बोला।
मैं बाहर तो निकल गया लेकिन मेरा लंड अभी भी तना हुआ था,बार-बार मुझे चोदने की इच्छा हो रही थी !
मैं चुपचाप ऐसे ही बैठा हुआ था कि मेरे दिमाग में भाभियों को रंग लगाने की बात आ गई और मैं उठ कर एक-एक करके सबको रंग लगाने निकला ! अभी तक मेरा लंड वैसे ही हिचकोले मार रहा था।
मैंने सोचा कि रंग लगाने के बहाने से भाभियों को छूने का मौका तो मिल ही जायेगा और मैंने एक-एक के घर में जाकर रंग लगाना चालू किया। उस समय हर किसी के घर में कोई न कोई मौजूद था जैसे किसी का पति तो किसी के सास-ससुर और यह देख के मेरा दिमाग और ज्यादा ख़राब हो रहा था क्योकि मेरे लंड को ठंडक नहीं मिल रही थी।
अब मैं अपने चचेरे भाई के यहाँ जा रहा था उसकी अभी तीन महीने पहले शादी हुई थी, उसकी बीवी यानि मेरी भाभी का नाम अरुणा था वो दिखने में थोड़ी सांवली थी मगर बदन को देखा तो किसी का भी लंड खड़ा हो जाये। उसका बदन 34-30-36 था, उसके चूचे तो दीवाना कर देते थे वैसे ही जब से उनकी शादी हुई थी तब से ही मैं उसको चोदने के लिए बेताब था।
उनके घर में उन दोनों के शिवाय कोई नहीं रहता था क्योंकि मेरे भाई के माता-पिता का देहांत हो चुका था। मैं अभी भी नशे में था लेकिन होश में था और यही सोच कर उसके घर जा रहा था आज मेरा भाई घर में न हो। मैं उनके घर के दरवाजे पर पहुँचा और सीधा अन्दर चले गया तब भाभी खाना बना रही थी। वो मुझे देखते ही समझ गई कि मैं उनको रंग लगाने के लिए आया हूँ।
भाभी बोली- अरे देवर जी, आप कब आये अमरावती से?
मैं बोला- कल शाम को आया भाभी ! अभी मैं आपको रंग लगाने आया हूँ।
वो बोली- मैं समझ गई थी कि आप होली खेलने के लिए आये हो लेकिन थोड़ा रुको, मुझे सब्जी का तड़का लगाने दो।
मैंने उनसे मेरे भाई के बारे पूछा तो वो बोली- आज कंपनी में काम होने की वजह से वो ड्यूटी पर गए हैं, शाम को 6 बजे आयेंगे।
वैसे ही मेरे दिमाग में ख्याल आया कि आज भाभी को तो चोदने का अच्छा मौका मिल गया है। देखते ही मेरा लंड फिर से तन गया और मेरे बरमुडे से बाहर निकलने लगा।
आज वैसे भी मैं बेफिक्र था क्योंकि अगर भाभी को बुरा लगा तो परिवार वालों को लगेगा कि दारू के नशे में रंग लगते वक़्त गलती से हाथ लग गया होगा।
उनके घर में दो कमरे थे, एक में मैं खड़ा था और दूसरे में वो खाना बना रही थी, उसी कमरे में उनका बेड भी था।
अब मैं उनके अन्दर के कमरे में चले गया और बेड पर बैठा उनके वक्ष को घूर रहा था।
क्या हसीन नजारा था, दो उभारों के बीच में पूरी खाई दिख रही थी। उसने लाल साड़ी और काला ब्लाऊज पहना था।
मैं धीरे धीरे अपने लंड को दबा रहा था, उतने में उनका ध्यान मेरी तरफ गया और मैंने फटाक से अपना हाथ अपने लंड से हटा लिया। उन्होंने ये सब देख लिया और अनदेखा करके सब्जी बनाने लगी।
वो मेरे से तीन साल से छोटी थी लेकिन रिश्ते में भाभी होने की वजह से मैं उनको आप आप कहता था।
फिर 5 मिनट के बाद वो वहाँ से उठी बोली- अब आप रंग लगा लो।
मैं उनके पास गया और पीछे से दोनों हाथों से उनके चेहरे पर रंग लगाना चालू किया।
अभी मैं उनके शरीर से दूर ही था, धीरे से मैंने अपना लंड उनके गांड से चिपकाया और जोर जोर से उनको रंग लगाना चालू किया जिससे उसको लंड के धक्के समझ में नहीं आ रहे थे।
मेरा दिमाग दूर का सोच रहा था कि अब समय बर्बाद करने में मतलब नहीं और ऐसा मौका शायद मिले।
मैं अपना मुँह नीचे करके उनके गर्दन के पास लाया और अपने होठों से उसको चूमने लगा तो वो एकदम चकरा गई कि यह क्या हो रहा है।
वो बोलने लगी- देवर जी बस हो गया रंग लगाना, अब छोड़ो !
लेकिन मैं कहाँ रुकने वाला था, मैंने फिर से कस कर उनको पकड़ लिया और गर्दन और पीठ की चूमना चालू किया। साथ में पीछे से लंड भी गांड को ठोक रहा था !
अब मैंने उनकी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया जिससे उसका ब्लाउज पूरा खुला हो गया। वो ना-नुकुर करने लगी...प्लीज छोड़ो ना... कोई आ जायेगा...प्लीज...
मैं यह सुनते ही समझ गया कि भाभी को यह सब अच्छा लग रहा है लेकिन वो डर रही है।
मैंने उनकी बातों को अनसुना करके अपने दोनों हाथों से ब्लाऊज के ऊपर से स्तन दबाना शुरु किया।
वाह ! क्या सख्त चूचे थे.... बहुत अच्छा लग रहा था ! अभी तक मैंने सिर्फ अपने चाची के ही चूचे दबाये थे जो बहुत ही नर्म थे !
अब मैं जोर जोर से स्तन दबा रहा था। वैसे ही भाभी की आवाज तेज हो रही थी वो सिसकारियाँ मार रही थी उसकी धड़कन भी तेज हो गई थी...आ...आ...हु...हु...आह्ह्ह.. ह्ह्ह....
अब मुझे पूरा यकीन हो गया था कि अब भाभी गरम हो गई है। मैंने उनका हाथ पीछे लेकर अपने लंड पर रख दिया अब वो मेरा लंड सहला रही थी और बीच-बीच में दबा भी रही थी।
और मैं दोनों हाथों से उसके स्तन दबा रहा था !
मैंने उनका ब्लाउज खोलना शुरु किया और खोलते ही उनकी काली ब्रा दिखने लगी, मैंने ब्रा के ऊपर से दबाना चालू रखा।
भाभी बोली- देवर जी, जो भी करना है कर लो लेकिन दरवाजा तो बंद करो !
और मैं उनको छोड़ कर दरवाजा बंद करने गया।
दरवाजा बंद करने के बाद मैंने उनकी पूरी साड़ी उतार दी और अपना बरमूडा भी उतार दिया। अब मेरे शरीर पर चड्डी और शर्ट के शिवाय कुछ नहीं था और उसके शरीर पर सिर्फ ब्रा, चड्डी और पेटीकोट ही था !
हम दोनों ने एक दूसरे को बाँहों में भर लिया और होठों को चूमना शुरु किया, साथ साथ में मैं उसकी गर्दन की भी पप्पी ले रहा था।
मुझे मालूम है कि औरत के गर्दन के पास चूमा तो वो जल्दी गर्म होती है ऐसा मुझे मेरी चाची ने बताया था।
मैंने अपने हाथों से उसके ब्रा के हुक भी खोल दिए और उसे निकाल कर बेड पर फेंक दिया ! ब्रा खोलते ही उसके बड़े बड़े चूचे मेरे सीने से चिपक गए। मैंने उसको थोड़ा सा दूर किया और हाथों से उनको दबाना चालू किया। उसकी निप्पल बहुत ही छोटी और गुलाबी रंग की थी !
उसने भी अपना एक हाथ मेरे चड्डी में डाल दिया और मेरे 6" के लंड को सहलाने लगी। थोड़ी देर मसलने के बाद मैंने उसकी एक एक करके दोनों चूचियों को मुंह से चुसना चालू किया, मैं जैसे जैसे चूसता वैसे वैसे वो मेरा लंड और जोरों से दबाती।
अब हम दोनों बिस्तर पर चले गए और 69 की अवस्था में हो गए। मैंने उनका पेटीकोट पूरा ऊपर कर लिया और उनके पैरों को चूमने लगा ! वो भी मेरे पैरों को चूमने लगी। पैर चूमते चूमते अब मैं उसकी चूत तक पहुँच गया, उस पर सिर्फ चड्डी ही थी। मैंने चड्डी के ऊपर से उसकी चूत सहलानी शुरु किया तो वो अपने पाँव खींचने लगी।
मैंने जबरदस्ती से उसके दोनों पावों को फैला कर उसके चूत को अपने मुँह से चूमना शुरु किया तो वो अपने हाथों से मुझे धकेलने लगी।
अब मैंने उसकी चड्डी को नीचे सरकाना शुरु किया और कुछ ही सेकंडों में उसकी चूत को पूरा खुला कर दिया।
क्या चूत थी भाभी की ! एक भी बाल नहीं था, पूरी चिकनी चूत थी !
उसी अवस्था में मैं उसके शरीर के ऊपर हो गया और अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटने की कोशिश करने लगा, चूत गीली हो गई थी !
वो भी मेरा लंड चड्डी से ही हिला रही थी, मैं जैसे जैसे उसकी चूत चाट रहा था, वैसे वैसे उसकी आवाज में बदल हो रहा था।
वो बोलने लगी- प्लीज... ऐसा मत करो... गुदगुदी हो रही है !
मैंने उसको बोला- भाभी आप भी मेरा लंड चूसो ना !
वो बोली- नहीं बाबा, मुझे यह सब गन्दा लगता है।
लेकिन मेरी विनती से उसने चड्डी से ही मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया।अब मैंने एक उंगली उसके चूत में डाल दी और अन्दर-बाहर करने लगा। उसकी चूत बड़ी कसी थी लेकिन गीली होने की वजह से उंगली आराम से जा रही थी। कुछ देर अन्दर-बाहर करने के बाद उसकी सिसकारियाँ बढ़ने लगी।
उसने मेरी चड्डी उतार दी और मेरा लंड देखते ही वो खुश हो गई, बोली- आपका लंड तो बहुत ही बड़ा है, आपके भाई तो इससे भी छोटा और पतला है !
उसने अपने पेटीकोट से मेरा लंड पौंछा और उसे चूमना शुरु किया।
धीरे धीरे उसकी इच्छा उसे चाटने की भी हुई लेकिन वो थोड़ा ही चाट पाई !
इधर मैं जोर-जोर से उंगली अन्दर बाहर कर रहा था ! अब उसको सहन नहीं हो रहा था तो वो बोली- अब जल्दी से इसे मेरी चूत में डाल दो नहीं तो अगर कोई घर पर आ गया तो मेरी चूत ऐसे ही प्यासी रह जाएगी !
मैंने भी वक़्त की नजाकत को समझा और उसे चोदने का मन बना लिया। शायद कोई आता तो मेरा भी लंड प्यासा का प्यासा ही रहता !
मुझे चाची के साथ सेक्स करते करते बहुत सारे आसन मालूम थे फिर भी मैंने भाभी को पूछा- आपको कौन से आसन में चुदवाना पसंद है?
तो वो बोली- आप जिसमें चोदोगे वो चलेगा बस अब चोदना चालू करो !
और मैंने उनको अपने ऊपर लेकर अपने लंड पर उसकी चूत को रखा और एक झटके के साथ उसे नीचे अपने लंड पर दबाया तो वो चिल्ला उठी- वोह्ह्ह्ह....वोह्ह्ह....बहुत दर्द हो रहा है ...
वो तड़फ रही थी- प्लीज निकालो बाहर ! नहीं तो मेरी चूत फट जाएगी।
लेकिन मैंने उसे पकड़ कर रखा था, अभी भी मेरा लंड उसकी चूत में था, कुछ सेकंड रुकने के बाद मैंने उसे अपने सीने पर झुका लिया और लंड को अन्दर-बाहर करने लगा। अब उसको थोड़ा-थोड़ा दर्द हो रहा था। लेकिन उसे आनन्द भी आ रहा था, साथ में उसके होठों को भी चूम रहा था। फिर धीरे धीरे मैंने स्पीड भी बढाई और जोर-जोर से चोदने लगा।
अब वो भी अपनी गांड हिलाने लगी और अन्दर-बाहर करने लगी। ऐसा हमने करीब 5 मिनट किया।
उसके बाद मैंने उसे घोड़ी बनाया और जोरदार धक्के के साथ अपना पूरा 6" का लंड उसकी चूत में डाल दिया।
वैसे ही वो चिल्ला उठी- अरे बाप रे ....मार डालोगे क्या?
अब मैंने धीरे धीरे अन्दर-बाहर करना शुरु किया, अपने दोनों हाथों से उसके स्तन दबाना भी चालू रखा। इतने में वो झड़ गई। अब मुझे भी लग रहा था कि मैं जल्दी झड़ जाऊँगा तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई और तुरंत दो मिनट के बाद मैं भी झड़ गया और अपना पूरा पानी भाभी की चूत में छोड़ दिया।
अब भाभी के चेहरे पर ख़ुशी साफ झलक रही थी। हमने अपने अपने कपड़े पहने और दरवाजा खोल दिया।
मैंने भाभी को बताया- मैं दस दिनों की छुट्टियों पर आया हूँ !
उसने भी मुझे बताया की मेरे भाई की अगले 7 दिन नाईट ड्यूटी है !
हमने तय किया कि रोज रात को 11 से सुबह के 4 बजे तक यही रासलीलायें खेलेंगे और एक चुम्बन के साथ मैं वहाँ से निकल गया।
अगले 7 दिन मैं ऐसे ही भाभी को चोदता रहा रोज रात को हम 3-4 बार सेक्स करते रहे और १० दिन के बाद मैं फिर से अपने ड्यूटी पर चला गया। भाभी को चोदने की बात सिर्फ मेरी चाची को ही मालूम है।
कुछ दिन के बाद भाभी का एक दिन फ़ोन आया कि वो माँ बनने वाली है, उसको 2005 में जनवरी में लड़की हुई।
अब कभी कभी जब मैं गाँव को जाता हूँ तो मौका मिलते ही भाभी को चोदे बगेर रहता नहीं !
अब उसको मेरा लंड चूसने से परहेज नहीं है और बड़े प्यार से पूरा लंड मुँह में लेकर चूसती है !
साल 2004 में मैं अमरावती में जॉब करता था लेकिन कोई भी ऐसा त्यौहार नहीं रहा कि मैं गाँव में नहीं जाता था।
ऐसे ही मैं होली के त्यौहार के लिए गाँव गया हुआ था। रंगपंचमी की दिन सुबह उठा और मुँह-हाथ धोकर दोस्तों के साथ खेत में दारू पीने और रंग खेलने चले गया। दारू पीने के बाद धीरे धीरे नशा बढ़ने लगा और बातों बातों में दोस्तों ने चुदाई के किस्से सुनाने चालू किये जिससे मेरा लंड खड़ा होने लगा और मेरे दिमाग में चाची को चोदने की इच्छा हुई और वहाँ से उठ कर मैं वापस घर आ गया।
मैं चाची के यहाँ गया और चाची को चूमने लगा तो उसने बोला- अभी नहीं, घर पर सब लोग हैं, रात को जितनी मर्जी, उतना चोद लेना !
और मुझे उसने बाहर जाने के लिए बोला।
मैं बाहर तो निकल गया लेकिन मेरा लंड अभी भी तना हुआ था,बार-बार मुझे चोदने की इच्छा हो रही थी !
मैं चुपचाप ऐसे ही बैठा हुआ था कि मेरे दिमाग में भाभियों को रंग लगाने की बात आ गई और मैं उठ कर एक-एक करके सबको रंग लगाने निकला ! अभी तक मेरा लंड वैसे ही हिचकोले मार रहा था।
मैंने सोचा कि रंग लगाने के बहाने से भाभियों को छूने का मौका तो मिल ही जायेगा और मैंने एक-एक के घर में जाकर रंग लगाना चालू किया। उस समय हर किसी के घर में कोई न कोई मौजूद था जैसे किसी का पति तो किसी के सास-ससुर और यह देख के मेरा दिमाग और ज्यादा ख़राब हो रहा था क्योकि मेरे लंड को ठंडक नहीं मिल रही थी।
अब मैं अपने चचेरे भाई के यहाँ जा रहा था उसकी अभी तीन महीने पहले शादी हुई थी, उसकी बीवी यानि मेरी भाभी का नाम अरुणा था वो दिखने में थोड़ी सांवली थी मगर बदन को देखा तो किसी का भी लंड खड़ा हो जाये। उसका बदन 34-30-36 था, उसके चूचे तो दीवाना कर देते थे वैसे ही जब से उनकी शादी हुई थी तब से ही मैं उसको चोदने के लिए बेताब था।
उनके घर में उन दोनों के शिवाय कोई नहीं रहता था क्योंकि मेरे भाई के माता-पिता का देहांत हो चुका था। मैं अभी भी नशे में था लेकिन होश में था और यही सोच कर उसके घर जा रहा था आज मेरा भाई घर में न हो। मैं उनके घर के दरवाजे पर पहुँचा और सीधा अन्दर चले गया तब भाभी खाना बना रही थी। वो मुझे देखते ही समझ गई कि मैं उनको रंग लगाने के लिए आया हूँ।
भाभी बोली- अरे देवर जी, आप कब आये अमरावती से?
मैं बोला- कल शाम को आया भाभी ! अभी मैं आपको रंग लगाने आया हूँ।
वो बोली- मैं समझ गई थी कि आप होली खेलने के लिए आये हो लेकिन थोड़ा रुको, मुझे सब्जी का तड़का लगाने दो।
मैंने उनसे मेरे भाई के बारे पूछा तो वो बोली- आज कंपनी में काम होने की वजह से वो ड्यूटी पर गए हैं, शाम को 6 बजे आयेंगे।
वैसे ही मेरे दिमाग में ख्याल आया कि आज भाभी को तो चोदने का अच्छा मौका मिल गया है। देखते ही मेरा लंड फिर से तन गया और मेरे बरमुडे से बाहर निकलने लगा।
आज वैसे भी मैं बेफिक्र था क्योंकि अगर भाभी को बुरा लगा तो परिवार वालों को लगेगा कि दारू के नशे में रंग लगते वक़्त गलती से हाथ लग गया होगा।
उनके घर में दो कमरे थे, एक में मैं खड़ा था और दूसरे में वो खाना बना रही थी, उसी कमरे में उनका बेड भी था।
अब मैं उनके अन्दर के कमरे में चले गया और बेड पर बैठा उनके वक्ष को घूर रहा था।
क्या हसीन नजारा था, दो उभारों के बीच में पूरी खाई दिख रही थी। उसने लाल साड़ी और काला ब्लाऊज पहना था।
मैं धीरे धीरे अपने लंड को दबा रहा था, उतने में उनका ध्यान मेरी तरफ गया और मैंने फटाक से अपना हाथ अपने लंड से हटा लिया। उन्होंने ये सब देख लिया और अनदेखा करके सब्जी बनाने लगी।
वो मेरे से तीन साल से छोटी थी लेकिन रिश्ते में भाभी होने की वजह से मैं उनको आप आप कहता था।
फिर 5 मिनट के बाद वो वहाँ से उठी बोली- अब आप रंग लगा लो।
मैं उनके पास गया और पीछे से दोनों हाथों से उनके चेहरे पर रंग लगाना चालू किया।
अभी मैं उनके शरीर से दूर ही था, धीरे से मैंने अपना लंड उनके गांड से चिपकाया और जोर जोर से उनको रंग लगाना चालू किया जिससे उसको लंड के धक्के समझ में नहीं आ रहे थे।
मेरा दिमाग दूर का सोच रहा था कि अब समय बर्बाद करने में मतलब नहीं और ऐसा मौका शायद मिले।
मैं अपना मुँह नीचे करके उनके गर्दन के पास लाया और अपने होठों से उसको चूमने लगा तो वो एकदम चकरा गई कि यह क्या हो रहा है।
वो बोलने लगी- देवर जी बस हो गया रंग लगाना, अब छोड़ो !
लेकिन मैं कहाँ रुकने वाला था, मैंने फिर से कस कर उनको पकड़ लिया और गर्दन और पीठ की चूमना चालू किया। साथ में पीछे से लंड भी गांड को ठोक रहा था !
अब मैंने उनकी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया जिससे उसका ब्लाउज पूरा खुला हो गया। वो ना-नुकुर करने लगी...प्लीज छोड़ो ना... कोई आ जायेगा...प्लीज...
मैं यह सुनते ही समझ गया कि भाभी को यह सब अच्छा लग रहा है लेकिन वो डर रही है।
मैंने उनकी बातों को अनसुना करके अपने दोनों हाथों से ब्लाऊज के ऊपर से स्तन दबाना शुरु किया।
वाह ! क्या सख्त चूचे थे.... बहुत अच्छा लग रहा था ! अभी तक मैंने सिर्फ अपने चाची के ही चूचे दबाये थे जो बहुत ही नर्म थे !
अब मैं जोर जोर से स्तन दबा रहा था। वैसे ही भाभी की आवाज तेज हो रही थी वो सिसकारियाँ मार रही थी उसकी धड़कन भी तेज हो गई थी...आ...आ...हु...हु...आह्ह्ह.. ह्ह्ह....
अब मुझे पूरा यकीन हो गया था कि अब भाभी गरम हो गई है। मैंने उनका हाथ पीछे लेकर अपने लंड पर रख दिया अब वो मेरा लंड सहला रही थी और बीच-बीच में दबा भी रही थी।
और मैं दोनों हाथों से उसके स्तन दबा रहा था !
मैंने उनका ब्लाउज खोलना शुरु किया और खोलते ही उनकी काली ब्रा दिखने लगी, मैंने ब्रा के ऊपर से दबाना चालू रखा।
भाभी बोली- देवर जी, जो भी करना है कर लो लेकिन दरवाजा तो बंद करो !
और मैं उनको छोड़ कर दरवाजा बंद करने गया।
दरवाजा बंद करने के बाद मैंने उनकी पूरी साड़ी उतार दी और अपना बरमूडा भी उतार दिया। अब मेरे शरीर पर चड्डी और शर्ट के शिवाय कुछ नहीं था और उसके शरीर पर सिर्फ ब्रा, चड्डी और पेटीकोट ही था !
हम दोनों ने एक दूसरे को बाँहों में भर लिया और होठों को चूमना शुरु किया, साथ साथ में मैं उसकी गर्दन की भी पप्पी ले रहा था।
मुझे मालूम है कि औरत के गर्दन के पास चूमा तो वो जल्दी गर्म होती है ऐसा मुझे मेरी चाची ने बताया था।
मैंने अपने हाथों से उसके ब्रा के हुक भी खोल दिए और उसे निकाल कर बेड पर फेंक दिया ! ब्रा खोलते ही उसके बड़े बड़े चूचे मेरे सीने से चिपक गए। मैंने उसको थोड़ा सा दूर किया और हाथों से उनको दबाना चालू किया। उसकी निप्पल बहुत ही छोटी और गुलाबी रंग की थी !
उसने भी अपना एक हाथ मेरे चड्डी में डाल दिया और मेरे 6" के लंड को सहलाने लगी। थोड़ी देर मसलने के बाद मैंने उसकी एक एक करके दोनों चूचियों को मुंह से चुसना चालू किया, मैं जैसे जैसे चूसता वैसे वैसे वो मेरा लंड और जोरों से दबाती।
अब हम दोनों बिस्तर पर चले गए और 69 की अवस्था में हो गए। मैंने उनका पेटीकोट पूरा ऊपर कर लिया और उनके पैरों को चूमने लगा ! वो भी मेरे पैरों को चूमने लगी। पैर चूमते चूमते अब मैं उसकी चूत तक पहुँच गया, उस पर सिर्फ चड्डी ही थी। मैंने चड्डी के ऊपर से उसकी चूत सहलानी शुरु किया तो वो अपने पाँव खींचने लगी।
मैंने जबरदस्ती से उसके दोनों पावों को फैला कर उसके चूत को अपने मुँह से चूमना शुरु किया तो वो अपने हाथों से मुझे धकेलने लगी।
अब मैंने उसकी चड्डी को नीचे सरकाना शुरु किया और कुछ ही सेकंडों में उसकी चूत को पूरा खुला कर दिया।
क्या चूत थी भाभी की ! एक भी बाल नहीं था, पूरी चिकनी चूत थी !
उसी अवस्था में मैं उसके शरीर के ऊपर हो गया और अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटने की कोशिश करने लगा, चूत गीली हो गई थी !
वो भी मेरा लंड चड्डी से ही हिला रही थी, मैं जैसे जैसे उसकी चूत चाट रहा था, वैसे वैसे उसकी आवाज में बदल हो रहा था।
वो बोलने लगी- प्लीज... ऐसा मत करो... गुदगुदी हो रही है !
मैंने उसको बोला- भाभी आप भी मेरा लंड चूसो ना !
वो बोली- नहीं बाबा, मुझे यह सब गन्दा लगता है।
लेकिन मेरी विनती से उसने चड्डी से ही मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया।अब मैंने एक उंगली उसके चूत में डाल दी और अन्दर-बाहर करने लगा। उसकी चूत बड़ी कसी थी लेकिन गीली होने की वजह से उंगली आराम से जा रही थी। कुछ देर अन्दर-बाहर करने के बाद उसकी सिसकारियाँ बढ़ने लगी।
उसने मेरी चड्डी उतार दी और मेरा लंड देखते ही वो खुश हो गई, बोली- आपका लंड तो बहुत ही बड़ा है, आपके भाई तो इससे भी छोटा और पतला है !
उसने अपने पेटीकोट से मेरा लंड पौंछा और उसे चूमना शुरु किया।
धीरे धीरे उसकी इच्छा उसे चाटने की भी हुई लेकिन वो थोड़ा ही चाट पाई !
इधर मैं जोर-जोर से उंगली अन्दर बाहर कर रहा था ! अब उसको सहन नहीं हो रहा था तो वो बोली- अब जल्दी से इसे मेरी चूत में डाल दो नहीं तो अगर कोई घर पर आ गया तो मेरी चूत ऐसे ही प्यासी रह जाएगी !
मैंने भी वक़्त की नजाकत को समझा और उसे चोदने का मन बना लिया। शायद कोई आता तो मेरा भी लंड प्यासा का प्यासा ही रहता !
मुझे चाची के साथ सेक्स करते करते बहुत सारे आसन मालूम थे फिर भी मैंने भाभी को पूछा- आपको कौन से आसन में चुदवाना पसंद है?
तो वो बोली- आप जिसमें चोदोगे वो चलेगा बस अब चोदना चालू करो !
और मैंने उनको अपने ऊपर लेकर अपने लंड पर उसकी चूत को रखा और एक झटके के साथ उसे नीचे अपने लंड पर दबाया तो वो चिल्ला उठी- वोह्ह्ह्ह....वोह्ह्ह....बहुत दर्द हो रहा है ...
वो तड़फ रही थी- प्लीज निकालो बाहर ! नहीं तो मेरी चूत फट जाएगी।
लेकिन मैंने उसे पकड़ कर रखा था, अभी भी मेरा लंड उसकी चूत में था, कुछ सेकंड रुकने के बाद मैंने उसे अपने सीने पर झुका लिया और लंड को अन्दर-बाहर करने लगा। अब उसको थोड़ा-थोड़ा दर्द हो रहा था। लेकिन उसे आनन्द भी आ रहा था, साथ में उसके होठों को भी चूम रहा था। फिर धीरे धीरे मैंने स्पीड भी बढाई और जोर-जोर से चोदने लगा।
अब वो भी अपनी गांड हिलाने लगी और अन्दर-बाहर करने लगी। ऐसा हमने करीब 5 मिनट किया।
उसके बाद मैंने उसे घोड़ी बनाया और जोरदार धक्के के साथ अपना पूरा 6" का लंड उसकी चूत में डाल दिया।
वैसे ही वो चिल्ला उठी- अरे बाप रे ....मार डालोगे क्या?
अब मैंने धीरे धीरे अन्दर-बाहर करना शुरु किया, अपने दोनों हाथों से उसके स्तन दबाना भी चालू रखा। इतने में वो झड़ गई। अब मुझे भी लग रहा था कि मैं जल्दी झड़ जाऊँगा तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई और तुरंत दो मिनट के बाद मैं भी झड़ गया और अपना पूरा पानी भाभी की चूत में छोड़ दिया।
अब भाभी के चेहरे पर ख़ुशी साफ झलक रही थी। हमने अपने अपने कपड़े पहने और दरवाजा खोल दिया।
मैंने भाभी को बताया- मैं दस दिनों की छुट्टियों पर आया हूँ !
उसने भी मुझे बताया की मेरे भाई की अगले 7 दिन नाईट ड्यूटी है !
हमने तय किया कि रोज रात को 11 से सुबह के 4 बजे तक यही रासलीलायें खेलेंगे और एक चुम्बन के साथ मैं वहाँ से निकल गया।
अगले 7 दिन मैं ऐसे ही भाभी को चोदता रहा रोज रात को हम 3-4 बार सेक्स करते रहे और १० दिन के बाद मैं फिर से अपने ड्यूटी पर चला गया। भाभी को चोदने की बात सिर्फ मेरी चाची को ही मालूम है।
कुछ दिन के बाद भाभी का एक दिन फ़ोन आया कि वो माँ बनने वाली है, उसको 2005 में जनवरी में लड़की हुई।
अब कभी कभी जब मैं गाँव को जाता हूँ तो मौका मिलते ही भाभी को चोदे बगेर रहता नहीं !
अब उसको मेरा लंड चूसने से परहेज नहीं है और बड़े प्यार से पूरा लंड मुँह में लेकर चूसती है !
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